Wednesday, December 22, 2010

चिम्पू और मिन्नी - काजलकुमार - लोटपोट




चिम्पू और मिन्नी - काजलकुमार  - लोटपोट

दोस्तों , आज मैं आपका परिचय चिम्पू और मिन्नी से करवा रहा हूँ , ये कॉमिक चरित्र श्री काजलकुमार  के द्वारा बनाया गया है , और ये लोटपोट में छपता था/है . और ख़ुशी की बात ये है की श्री काजलकुमार जी आज भी हमारे बीच है .ये दोनों बच्चे अपनी नटखट हरकतों से सभी को तंग करते रहते है . 


Friday, December 10, 2010

मंगलू मदारी और बन्दर बिहारी--- INDIAN COMIC STRIP by SHEHAAB JI



दोस्तों , बहुत दिनों के बाद आपकी खिदमत में हाज़िर हूँ, मेरी बांह में चोट लग गयी थी .. इसलिए कुछ sketching नहीं कर पाता था . अब ठीक है . मैं अपनी एक पुरानी पोस्ट को ही republish कर रहा हूँ . अब हर हफ्ते मैं कोशिश करूँगा की मैं नए नए कॉमिक स्ट्रिप्स [ सिर्फ भारतीय ] को आपके सम्मुख पेश करूँ. और मैंने पहले भी आप सभी दोस्तों से गुजारिश की थी . की अगर उनके पास पुरानी कॉमिक्स हो , कोई भी  , चाहे वो लोटपोट हो, मधुमुस्कान हो , चंदामामा हो , पराग हो , इंद्रजाल कॉमिक्स, हो , पुरानी कोई भी कॉमिक्स या कॉमिक्स स्ट्रिप हो , मुझे भेजने की कृपा करें. इससे मैं और ज्यादा sketch बना सकता हूँ . मेरा पता बगल के column में दिया है . मुझे इन्तजार रहेंगा आप सभी का ..क्योंकि , मीन सिर्फ यही कोशिश कर रहा हूँ , की सारी दुनिया जाने की हम भारतीय भी किसी से कम नहीं है कॉमिक्स stripping और कार्टूनिंग में. और हाँ आपके भीतर का वो बच्चा भी जाग जाए एक बार फिर से . धन्यवाद !!!
                   

                       मंगलू मदारी और बन्दर बिहारी


मंगलू मदारी और बन्दर बिहारी ... एक लाजवाब कॉमिक सीरीज़ थी जो मधुमुस्कान में छपती थी इसके चित्रकार थे महान कार्टूनिस्ट शेहाब ...

MANGLU MADAARI AND BANDAR BIHAARI WERE THE FAMOUS COMIC SERIES FROM MADHUMUSKAAN ..THEY WERE CREATED BY CARTOONIST SHRI SHEHAAB JI. 


Saturday, July 17, 2010

I, ME AND MYSELF....

There is no past and no future , whatever is there , it is only the present ...the moment .. the drop of life .. the bliss of soul...the blessings of GOD....the being ...the ME... and I am living every moment of my life with Music , books, and good friends like you... Thanks for being my friends. I cherish the memories...I will soon comeback after the shoulder enjury ...soon ..very soon !!! That's my promise to me and you all.

Thursday, April 15, 2010

चेलाराम, मैं और ज़हीर भाई ...यानी की खूब जमेंगी जब मिल बैठेंगे दीवाने तीन........

जी हाँ दोस्तों , मैं सुना रहा हूँ कहानी तीन दोस्तों की ....ये तीन दोस्त है चेलाराम - मेरा मनपसंद कॉमिक चरित्र दीवाना कॉमिक बुक से ......और ज़हीर भाई , जो की कॉमिक्स की दुनिया में जाना पहचाना नाम है ....और विजय याने की मैं आपका नाचीज़ दोस्त ....कथा बहुत पुरानी है और तीन दोस्तों की बिछड़ने की और मिलने की कहानी है ... ये तीनो दुनिया की rat race में बिछड़ गए थे और फिर किसी खुदा के मेहर से मिल भी गए.... शुरू होती है कहानी , मेरे बचपन से , जब मैं खूब कॉमिक्स पढता था और दीवाना मेरा मनपसंद कॉमिक्स था ... और दीवाना में मेरा मनपसंद चरित्र था " चेलाराम " जिसकी तस्वीर ऊपर आप देख रहे है .. फिर धीरे धीरे ,ये सब पीछे छूट गया और चेलाराम मेरे जेहन में एक सुनहरी याद बन कर रह गया .....मैं अपनी ज़िन्दगी की rat race में खोते ही रहा ,लेकिन मेरे भीतर का बच्चा अभी भी जिंदा है he refuses to die ...... फिर बहुत सालो बाद अचानक ही इन्टरनेट पर कॉमिक्स की खोज ने मुझे ज़हीर भाई  [ www.comic-guy.blogspot.com    ] तक पहुंचा दिया ...







कई सालो से उनका ब्लॉग पढ़ रहा हूँ खुश हो रहा हूँ और उनका बड़ा शैदाई भी हूँ ... लेकिन चेलाराम नहीं मिला था मुझे अब तक , फिर मैंने एक दिन ज़हीर भाई से मिलने की ठान ही ली और पहुच गया भुबनेश्वर , और वहां से सफ़र शुरू हुआ आंगुल तक पहुँचने का ,जहाँ ज़हीर भाई Nalco में कार्य करते है ....भुवनेश्वर से आंगुल का सफ़र कष्टदायक था थोडा , क्योंकि मुझे back pain भी है और बस के द्वारा यात्रा करने के कारण , और सड़के ठीक न होने के कारण और शायद गर्मियों के दिन थे , इन सबके कारण मेरा दर्द बढ गया ....खैर खुदा खुदा करते वहां पहुंचा .....अब मेरी excitement बढ़ गयी थी मैं अपने "ज़हीर भाई" से मिलने वाला था , जिनकी वजह से मेरी कॉमिक्स में फिर से दिलचस्पी बढ़ गयी थी ...मैं वहां खड़ा उनका इन्तजार कर रहा था की ज़हीर भाई वहां आ पहुंचे , मैंने और उन्होंने एक दुसरे को कभी देखा न था ..सिर्फ फ़ोन से ही बाते हुई थी... हमने एक दुसरे को देखा और फिर बड़े प्रेम से गले मिले .... मेरा सारा दर्द काफूर हो गया था ... फिर उन्होंने मुझे गेस्ट हाउस लेकर गए , जहाँ मैं तैयार हुआ और फिर थोड़ी देर बाद ज़हीर भाई आ गए , हमें लेने ... हम उनके घर पहुंचे ..और उनकी पत्नी निशा भाभी से मिले ... दोनों इतने अजीज है , इतने प्रेम से मिले की क्या कहूँ , मुझे लग ही नहीं रहा था की मैं पहली बार मिल रहा हूँ उनसे... ...खूब बाते हुई , निशा भाभी लज़ीज़ खाना बनाए में लग गयी ...[ मुझे आज तक उस खाने का स्वाद याद है ...ज़हीर भाई , अबकी बार कॉमिक्स और खाना दोनों के लिए आऊंगा ] .....अब समय था ..तीसरे किरदार से मिलने की ...जी हाँ चेलाराम.. ज़हीर भाई को कहा... यार दीवाने को दीवाना दे दो .. उन्होंने मुझे एक दीवाना दी ..जिसमे मेरा चेलाराम था ...आहा ,क्या आनंद आया मुझे , मेरे पास शब्द नहीं है उस आनंद को बतलाने के लिए ....मुझे याद नहीं आ रहा है , लेकिन शायद मैं बहुत भावुक भी हो गया था ...... फिर मैंने ज़हीर भाई से कहा यार अपना खजाना तो दिखलाओ ..उन्होंने मुस्काराते हुए अपना खजाना दिखाया ... मेरी आह निकल गयी ...सोचा , सब चोरी ही कर लूं ....






but jokes apart , I salute zaheer bhai for being the leader for all the comic lovers ...and also making the kid in us live forever.... He is doing all this so religiously that one has to put his kind of energy and efforts for such a big collection... ज़हीर भाई में जो जूनून है वो काबिले तारीफ है और , मुझे ख़ुशी है की मैं उन्हें जानता हूँ ....उन्होंने बहुत शिद्दत से कॉमिक्स, और पुरानी किताबे जमा की और उन्हें बहुत जतन से संभाल कर रखा ... ..और इस जूनून में उनके साथ है निशा भाभी ..जो की एक आदर्श भारतीय नारी की तरह अपने पति के इस पागलपन में [ बहुत से दुनियादार लोगो को ये पागलपन ही लगेंगा की कोई पुरानी किताबे और कबाड़ घर में इकठ्ठा करे ..पैसा बर्बाद करे ...] लेकिन I salute to निशा भाभी ; कि वो भी ज़हीर भाई के इस शौक में कदम दर कदम ,हर कदम है .....दोनों की अपनी छोटी सी दुनिया है , जहाँ मोहब्बत है , दोस्ती है , कॉमिक्स है और खुदा की मेहर भी है ..और खुशियाँ भी है ....हमने रात का खाना साथ में मिलकर खाया और भाभी ने बहुत अच्छे व्यंजन बनाए थे ... हमने गीत संगीत की महफ़िल भी सजाई ..मैंने अपनी कविताये सुनाई .. भाभी ने भी अपनी कविताएं सुनाई ... ज़हीर भाई के पास क्रिकेट , कॉमिक्स, और म्यूजिक की इतनी सारी बाते है की क्या कहे... बहुत सा सकून भरा समय गुजरा और दुसरे दिन मैंने उनसे अलविदा लिया ....बहुत सी ऐसी यादो के साथ ..जिन्हें ज़िन्दगी भर के लिए cherish किया जा सकता है .......,मेरी दुआ है खुदा से की खुदा उन दोनों को सकूँ दे..शान्ति दे...ख़ुशी दे.. और जीवन का हर सुख दे......आमीन !!!

दोस्तों , ये ज़ाहिर भाई से मिलने के बाद का असर है की मैंने अपना ये कॉमिक्स का ब्लॉग शुरू किया .... तो दोस्तों ज़ारी है सफ़र ज़िन्दगी का , दोस्ती का और कॉमिक्स का .....


आपका विजय

Wednesday, January 6, 2010

डॉ. झटका ....// Dr,Jhatka...






डॉ. झटका


डॉ.झटका , मेरे बचपन की मधुर स्मृतियों में से एक है , ये कॉमिक चरित्र लोटपोट और दीवाना में छपा करता था .. घसीटाराम और डॉ. झटका की जोड़ी , कॉमिक्स की दुनिया में बड़ी लोकप्रिय थी .. इसके कार्टूनिस्ट कौन थे, मुझे इसकी खबर नहीं ,पर ये मेरे मनपसंद कॉमिक चरित्र में से एक है.....