Thursday, April 15, 2010

चेलाराम, मैं और ज़हीर भाई ...यानी की खूब जमेंगी जब मिल बैठेंगे दीवाने तीन........

जी हाँ दोस्तों , मैं सुना रहा हूँ कहानी तीन दोस्तों की ....ये तीन दोस्त है चेलाराम - मेरा मनपसंद कॉमिक चरित्र दीवाना कॉमिक बुक से ......और ज़हीर भाई , जो की कॉमिक्स की दुनिया में जाना पहचाना नाम है ....और विजय याने की मैं आपका नाचीज़ दोस्त ....कथा बहुत पुरानी है और तीन दोस्तों की बिछड़ने की और मिलने की कहानी है ... ये तीनो दुनिया की rat race में बिछड़ गए थे और फिर किसी खुदा के मेहर से मिल भी गए.... शुरू होती है कहानी , मेरे बचपन से , जब मैं खूब कॉमिक्स पढता था और दीवाना मेरा मनपसंद कॉमिक्स था ... और दीवाना में मेरा मनपसंद चरित्र था " चेलाराम " जिसकी तस्वीर ऊपर आप देख रहे है .. फिर धीरे धीरे ,ये सब पीछे छूट गया और चेलाराम मेरे जेहन में एक सुनहरी याद बन कर रह गया .....मैं अपनी ज़िन्दगी की rat race में खोते ही रहा ,लेकिन मेरे भीतर का बच्चा अभी भी जिंदा है he refuses to die ...... फिर बहुत सालो बाद अचानक ही इन्टरनेट पर कॉमिक्स की खोज ने मुझे ज़हीर भाई  [ www.comic-guy.blogspot.com    ] तक पहुंचा दिया ...







कई सालो से उनका ब्लॉग पढ़ रहा हूँ खुश हो रहा हूँ और उनका बड़ा शैदाई भी हूँ ... लेकिन चेलाराम नहीं मिला था मुझे अब तक , फिर मैंने एक दिन ज़हीर भाई से मिलने की ठान ही ली और पहुच गया भुबनेश्वर , और वहां से सफ़र शुरू हुआ आंगुल तक पहुँचने का ,जहाँ ज़हीर भाई Nalco में कार्य करते है ....भुवनेश्वर से आंगुल का सफ़र कष्टदायक था थोडा , क्योंकि मुझे back pain भी है और बस के द्वारा यात्रा करने के कारण , और सड़के ठीक न होने के कारण और शायद गर्मियों के दिन थे , इन सबके कारण मेरा दर्द बढ गया ....खैर खुदा खुदा करते वहां पहुंचा .....अब मेरी excitement बढ़ गयी थी मैं अपने "ज़हीर भाई" से मिलने वाला था , जिनकी वजह से मेरी कॉमिक्स में फिर से दिलचस्पी बढ़ गयी थी ...मैं वहां खड़ा उनका इन्तजार कर रहा था की ज़हीर भाई वहां आ पहुंचे , मैंने और उन्होंने एक दुसरे को कभी देखा न था ..सिर्फ फ़ोन से ही बाते हुई थी... हमने एक दुसरे को देखा और फिर बड़े प्रेम से गले मिले .... मेरा सारा दर्द काफूर हो गया था ... फिर उन्होंने मुझे गेस्ट हाउस लेकर गए , जहाँ मैं तैयार हुआ और फिर थोड़ी देर बाद ज़हीर भाई आ गए , हमें लेने ... हम उनके घर पहुंचे ..और उनकी पत्नी निशा भाभी से मिले ... दोनों इतने अजीज है , इतने प्रेम से मिले की क्या कहूँ , मुझे लग ही नहीं रहा था की मैं पहली बार मिल रहा हूँ उनसे... ...खूब बाते हुई , निशा भाभी लज़ीज़ खाना बनाए में लग गयी ...[ मुझे आज तक उस खाने का स्वाद याद है ...ज़हीर भाई , अबकी बार कॉमिक्स और खाना दोनों के लिए आऊंगा ] .....अब समय था ..तीसरे किरदार से मिलने की ...जी हाँ चेलाराम.. ज़हीर भाई को कहा... यार दीवाने को दीवाना दे दो .. उन्होंने मुझे एक दीवाना दी ..जिसमे मेरा चेलाराम था ...आहा ,क्या आनंद आया मुझे , मेरे पास शब्द नहीं है उस आनंद को बतलाने के लिए ....मुझे याद नहीं आ रहा है , लेकिन शायद मैं बहुत भावुक भी हो गया था ...... फिर मैंने ज़हीर भाई से कहा यार अपना खजाना तो दिखलाओ ..उन्होंने मुस्काराते हुए अपना खजाना दिखाया ... मेरी आह निकल गयी ...सोचा , सब चोरी ही कर लूं ....






but jokes apart , I salute zaheer bhai for being the leader for all the comic lovers ...and also making the kid in us live forever.... He is doing all this so religiously that one has to put his kind of energy and efforts for such a big collection... ज़हीर भाई में जो जूनून है वो काबिले तारीफ है और , मुझे ख़ुशी है की मैं उन्हें जानता हूँ ....उन्होंने बहुत शिद्दत से कॉमिक्स, और पुरानी किताबे जमा की और उन्हें बहुत जतन से संभाल कर रखा ... ..और इस जूनून में उनके साथ है निशा भाभी ..जो की एक आदर्श भारतीय नारी की तरह अपने पति के इस पागलपन में [ बहुत से दुनियादार लोगो को ये पागलपन ही लगेंगा की कोई पुरानी किताबे और कबाड़ घर में इकठ्ठा करे ..पैसा बर्बाद करे ...] लेकिन I salute to निशा भाभी ; कि वो भी ज़हीर भाई के इस शौक में कदम दर कदम ,हर कदम है .....दोनों की अपनी छोटी सी दुनिया है , जहाँ मोहब्बत है , दोस्ती है , कॉमिक्स है और खुदा की मेहर भी है ..और खुशियाँ भी है ....हमने रात का खाना साथ में मिलकर खाया और भाभी ने बहुत अच्छे व्यंजन बनाए थे ... हमने गीत संगीत की महफ़िल भी सजाई ..मैंने अपनी कविताये सुनाई .. भाभी ने भी अपनी कविताएं सुनाई ... ज़हीर भाई के पास क्रिकेट , कॉमिक्स, और म्यूजिक की इतनी सारी बाते है की क्या कहे... बहुत सा सकून भरा समय गुजरा और दुसरे दिन मैंने उनसे अलविदा लिया ....बहुत सी ऐसी यादो के साथ ..जिन्हें ज़िन्दगी भर के लिए cherish किया जा सकता है .......,मेरी दुआ है खुदा से की खुदा उन दोनों को सकूँ दे..शान्ति दे...ख़ुशी दे.. और जीवन का हर सुख दे......आमीन !!!

दोस्तों , ये ज़ाहिर भाई से मिलने के बाद का असर है की मैंने अपना ये कॉमिक्स का ब्लॉग शुरू किया .... तो दोस्तों ज़ारी है सफ़र ज़िन्दगी का , दोस्ती का और कॉमिक्स का .....


आपका विजय

5 comments:

Comic World said...

विजय भाई निहायत ही उम्दा तरीके से आपने अपने जज़्बातों का इज़हार किया है,वैसे मैं इस क़ाबिल तो नहीं के मेरे बारे में ज़्यादा कुछ लिखा जाए पर फिर आपकी मुहब्बत को दिल से सलाम.
सच कहूँ तो आपके साथ वक़्त बहुत अच्छा गुज़रा,मैं तो ये सोच कर हैरान हुआ था जब आपने हैदराबाद से यहाँ,इतनी दूर आने की इत्तला दी थी,की सिर्फ कॉमिक्स प्रेम की ख़ातिर आखिर कैसे कोई अपना कीमती वक़्त,उर्जा और पैसा खर्च करके सिर्फ मिलने आ सकता है!पर जब आप आये तो पता लगा की आपके दिल में सचमुच कॉमिक्स प्रेम हिलोरे मार रहा था और आपमें एक सच्चा कॉमिक प्रेमी दिखा.
रही बात आपकी संगत की तो आपके साथ वक़्त कैसे गुज़र गया गुमान ही नहीं हुआ,आपकी कवितायेँ और कॉमिक्स चर्चा में वक़्त जैसे पंख लगा कर उड़ गया.

Anonymous said...

hello... hapi blogging... have a nice day! just visiting here....

Sunita Sharma Khatri said...

बहुत अच्छा है इसे पढ कर बचपन की यादें ताजा हो गयी चेलाराम की कामिक्स बहुत अच्छी लगती थी जब एक बार पढना शुरू किया तो खाना पीना भूल हंसी की दूनिया में खो जाते थे......।

Unknown said...

मैं चेलाराम को सर्च कर रहा था और आपका यह ब्लॉक मिला बचपन से कॉमिक्स की दुनिया में चेलाराम मेरा पसंदीदा कैरेक्टर रहा है और इसका एक नतीजा यह है कि मेरा एक मित्र हमने उसका नाम चेलाराम रखा था जो आजकल न्यूजर्सी में है आपकी भावनाएं पढ़ कर अच्छा लगा अपना बचपन बचाए रखें और लोगों का बचपन बनाए रखें

Unknown said...

निसन्देह यह बहुत ही शरीफाना और निहायत ही सलीकेदार तरीके से जगह जगह पिटने वाला पात्र था और घर मे मुझः मेरे कपिल देव स्टाइल दाँतो की वजह से चेलाराम के नाम से सबोधित किया जाता रहा पर मुझे ना कल फरक पडा और ना आज अपितु आज सरच करते हुये कस पात्र को जैसे जीवित पाया!!! साधु!! साधु!!!